Day: November 25, 2024

IND-W vs AUS-W: भारत ने धांसू ओपनर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम में नहीं दी जगह, खराब फॉर्म की सजा मिली

नई दिल्ली. बीसीसीआई ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली वनडे सीरीज के लिए ओपनर शेफाली वर्मा को टीम से बाहर कर दिया है. श्रेयांका पाटिल को भी इस टीम में जगह नहीं दी गई है. बोर्ड ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए मंगलवार को भारतीय महिला क्रिकेट टीम का ऐलान किया. शेफाली और श्रेयांका को भले ही ड्रॉप कर दिया गया हो, लेकिन टीम की लीडरशिप में कोई बदलाव नहीं किया गया है. हरमनप्रीत कौर टीम की कप्तान और स्मृति मंधाना टीम की उप कप्तान बनी रहेंगी. भारतीय टीम: हरमनप्रीत कौर (कप्तान), स्मृति मंधाना (उपकप्तान), प्रिया पूनिया, जेमिमाह रोड्रिग्स, हरलीन देओल, यास्तिका भाटिया (विकेटकीपर), ऋचा घोष (विकेटकीपर), तेजल हसबनिस, दीप्ति शर्मा, मिन्नू मणि , प्रिया मिश्रा, राधा यादव, तितास साधु, अरुंधति रेड्डी, रेणुका सिंह ठाकुर, साइमा ठाकोर. FIRST PUBLISHED : November 19, 2024, 13:18 IST

बजट एयर प्यूरिफायर: 10 हजार रुपये से कम के ये एयर फ्यूरीफायर मार्केट में मौजूद, तुरंत करें ऑर्डर

बढ़ते प्रदूषण में 10 हजार रुपये से कम कीमत वाले एयर प्यूरीफायर एक मेगा और प्रभावशाली समाधान साबित हो रहे हैं। इन प्यूरीफायर्स में HEPA और कार्बन फिल्टर जैसी जरूरतें हैं, जो हवा को साफ और ताजगी से भरपूर हैं। ये छोटे से कमरे में हैं शानदार काम। (*10*) द्वारा अनुराग मिश्रा प्रकाशित तिथि: मंगल, 19 नवंबर 2024 01:34:37 ​​अपराह्न (IST) अद्यतन दिनांक: मंगल, 19 नवंबर 2024 01:34:37 ​​अपराह्न (IST) बेस्ट एयर प्यूरीफायर्स के लिए कम डैम में फीचर्स। (फ़ॉलो फोटो) पर प्रकाश डाला गया HEPA और कार्बन डाइऑक्साइड से हवा को साफ करते हैं। छोटे कमरे और एकल लोगों के लिए उपयुक्त हैं। प्रदूषण नियंत्रण में सहायक और ताजगी बनाए रखी जाती है। प्रौद्योगिकी, कार्यालय। बढ़ते प्रदूषण और धुंए के कारण घर में साफ हवा की जरूरत सबसे ज्यादा महसूस होने लगी है। यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि खराब श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसका समाधान एयर प्यूरिफ़ायर के रूप में एक प्रभावी विकल्प है। ज्यादातर लोगों का मानना ​​है कि इनकी कीमत बहुत ज्यादा है, लेकिन अब 10,000 रुपये से भी कम बजट में अच्छे एयर प्यूरीफायर मौजूद हैं। इन ऑटोमोबाइल्स का उद्देश्य उद्यमों में ताजगी बनाए रखना और प्रदूषण को नियंत्रित करना है। महँगे एयर प्यूरीफायर के फायदे 10 हजार रुपये से कम कीमत वाले एयर प्यूरीफायर में आम तौर पर HEPA फिल्टर (हाई-एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर) और कार्बन फिल्टर जैसी चीजें होती हैं। ये फिल्टर हवा में मौजूद कूड़ा-करकट, बैक्टीरिया, वायरस, एलर्जी के कण और गंध को प्रभावी रूप से हटाने में मदद करते हैं। छोटे कमरों के लिए ये एयर प्यूरीफायर बहुत ही अच्छे होते हैं। इसके अलावा, युनाइटेड इलेक्ट्रिक पावर का बिल भी कम होता है, जिससे लंबी अवधि के उपयोग में भी ज्यादा पावर का बिल नहीं आता है। इन कंपनियों में एसोसिएटेड एयर फ्यूरीफायर्स शामिल हैं 1. श्याओमी (एमआई) Xiaomi एक ऐसी कंपनी है, जो टेक्नोलॉजी के रूप में उन्नत और बाज़ार में बिकने वाली कंपनी के रूप में जानी जाती है। इनके Mi Air Air purifier 3i मॉडल की कीमत लगभग 9,000 रुपये से भी कम है। इस प्यूरीफायर में HEPA फिल्टर और CADR (स्वच्छ वायु वितरण दर) का अच्छा संयोजन है, जो 400 वर्ग फीट तक के कमरे के लिए उपयुक्त है। OLED डिस्प्ले और टेक्नोलॉजी ऐप कंट्रोल जैसी चीजें भी हैं, जो इसमें और भी आकर्षक हैं। 2. हनीवेल हनीवेल एक प्रमुख अमेरिकी कंपनी है, जो एयर प्यूरीफायर और अन्य घरेलू उपकरणों में प्रसिद्ध है। इनके हनीवेल एयर टच A5 मॉडल की कीमत करीब 8,500 रुपये है। 3-स्टेज फिल्ट्रेशन सिस्टम और HEPA फिल्टर मौजूद है, जिसमें हवा में मौजूद 99% प्रदूषक सिस्टम को फिल्टर किया गया है। यह मॉडल छोटे कमरे के लिए उपयुक्त है और 323 वर्ग फुट तक के क्षेत्र को कवर करता है। 3. फिलिप्स फिलिप्स का AC1215/20 मॉडल 10,000 रुपये के बजट में उपलब्ध है और इसमें HEPA फिल्टर और UV-C टेक्नोलॉजी जैसी सुविधाएं दी गई हैं। यह प्यूरीफायर हवा से पीएम 2.5 जैसे छोटे निवासियों को निकालने में सक्षम है और 270 वर्ग फीट तक के कमरे को शुद्ध करता है। एक पुरातात्विक स्मारक और वायु गुणवत्ता संकेतक भी होता है, जो हवा की गुणवत्ता को वास्तविक समय में प्रदर्शित करता है। 4. बजाज बजाज के PX97 एयर प्यूरीफायर की कीमत लगभग 6,000 रुपये है। यह एक बजट-फ़्रेंडली मॉडल है, जो 3-स्टेज फ़िल्ट्रेशन सिस्टम के साथ आता है। HEPA फिल्टर और कार्बन फिल्टर होते हैं, जो हवा को प्रदूषण और गंध से मुक्त करते हैं। यह छोटा कमरा उपयुक्त है और इसमें 320 वर्ग फुट तक का क्षेत्र शामिल है। 5. केंट KENT एक और लोकप्रिय ब्रांड है जो कि ज्वालामुखी एयर प्यूरीफायर प्रदान करता है। केंट अल्कलाइन एयर प्यूरीफायर की कीमत करीब 9,500 रुपये है और इसमें HEPA और कार्बन फिल्टर का मिश्रण है। यह मॉडल 290 वर्ग फुट तक के कमरे को शुद्ध कर सकता है और इसमें यूवी और ऐंटी-सुविधाएं भी हैं, जो हवा को शुद्ध करने के साथ-साथ दुकानदारों को भी बनाती हैं। मोटरसाइकल एयर प्यूरिफ़ायर्स के टिप्स अगर आप 10,000 रुपये के एयर प्यूरीफायर के बारे में सोच रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है… कमरे का आकार: सुनिश्चित करें कि प्यूरिफ़ायर रूम का आकार प्रभावशाली हो। प्रभावकार की गुणवत्ता: HEPA फिल्टर और कार्बन फिल्टर का चुनाव करें। पुराने ऑर्टेंटेनेंस: सुनिश्चित करें कि एयर प्यूरीफायर का रख-रखाव सरल हो और फिल्टर को आसानी से बदला जा सके। स्मार्ट सुविधाएँ: अगर, आपके बजट में हो तो स्मार्ट एयर प्यूरीफायर का चुनाव करें, जो हवा की गुणवत्ता को वास्तविक समय में देखें।

World Heritage Week: मैं ग्वालियर का किला, कई युद्धों का साक्षी, खूबसूरती ऐसी की मुझे देखने सात समंदर पार से आते हैं लोग

ग्‍वालियर के किले को भारत का जिब्राल्‍टर कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि फ्रांस के जिब्राल्‍टर के किले को जीतना आसन नही था। यह किला अपने आप में गौरवशाली इतिहास को सहेजे हुए है। By Anoop Bhargav Publish Date: Tue, 19 Nov 2024 01:28:05 PM (IST) Up to date Date: Tue, 19 Nov 2024 01:30:15 PM (IST) ग्‍वालियर किला- जीता जागता निशान है ग्‍वालियर के गौरव का। HighLights सूरज सेन ने कराया था ग्वालियर किले का निर्माण महाराजा देव परम ने ग्वालियर पर तोमर राज्य स्थापित किया 1804 से 1844 के बीच अंग्रेजों और सिंधिया घराने का राज रहा नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मैं ग्वालियर का किला मेरे साथ कई राजाओं की शौर्य गाथाएं जुड़ी हैं, वहीं अपने साथ हुई बर्बरता की निशानियां लिए मैं आज एक जगह खड़ा हूं। मेरी खूबसूरती मुगल शासक औरंगजेब को यहां खींच लाई। उसने न केवल मुझे बल्कि मेरे यहां की मूर्तियों को भी तहस नहस कर दिया। एक वक्त ऐसा भी आया, जब मुझे ईस्ट इंडिया कंपनी ने हथिया लिया। मुझे मिटाने की तमाम कोशिशें हुई। वक्त के साथ एक के बाद एक कई राजाओं ने मुझ पर राज किया। 1804 से 1844 के बीच मुझ पर अंग्रेजों और सिंधिया घराने का राज रहा। आखिरकार 1844 में महाराजापुर की लड़ाई के बाद मैं पूरी तरह से सिंधिया घराने का हो गया और अब मैं विश्व धरोहर में शामिल हूं। मेरी खूबसूरती इतनी है कि दूर-दूर से पर्यटक मुझे निहारने आते हैं। भले ही मैंने कई आक्रमण झेले, लेकिन मेरी भव्यता आज भी बरकरार है। मैं ग्वालियर का किला देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी मशहूर हूं। मेरा निर्माण आठवीं शताब्दी में किया गया था। मैं तीन किलोमीटर के दायरे में फैला हूं और मेरी ऊंचाई 35 फीट है। मेरा भारतीय इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। इतिहासकारों के मुताबिक मेरा निर्माण सूरज सेन कराया। मेरी स्थापना के बाद मुझ पर पाल वंश ने राज किया। इसके बाद प्रतिहार वंश और फिर मोहम्मद गजनी ने मुझ पर आक्रमण कर दिया, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा। 1196 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ने मुझे अपने अधीन कर लिया, लेकिन 1211 ईस्वी में उसे हार का सामना करना पड़ा। फिर 1231 ईस्वी में गुलाम वंश के संस्थापक इल्तुतमिश ने मुझे अपने अधीन कर लिया। इसके बाद महाराजा देव परम ने ग्वालियर पर तोमर राज्य की स्थापना की। यह भी है मेरा इतिहास मुझे याद है जब पहली बार मेरे परिसर में जौहर हुआ था। इसमें मेरे परिसर के अंदर मौजूद स्त्रियों ने इल्तुतमिश की सेना से बचने के लिए आत्महत्या की थी। उन्होंने जिस जगह अपना जीवन त्यागा था, उसे जौहर कुंड या जौहर ताल के नाम से जाना जाता है और यह मेरे उत्तरी छोर पर स्थित है। मेरी एक किंवदंती यह भी मेरे बारे में कहा जाता है कि मेरे शासक सूरज सेन को कुष्ठ रोग हुआ था। एक घुमंतू ऋषि, ग्वालिपा उनसे मिलने आए और उन्हें पास के ही एक पवित्र तालाब का जल पीने को कहा। इस जल के सेवन के बाद, राजा चमत्कारिक रूप से अपने रोग से मुक्त हो गए और उन्होंने बाद में आभार स्वरूप, मेरा निर्माण करवाया। मेरा नाम उस ऋषि के नाम पर रखा गया। ऋषि ने राजा और उनके वंशजों को किले के पाल या रक्षक की उपाधि दी थी। ऐसा माना जाता है कि जिस तालाब के पानी से राजा अपने रोग से ठीक हुए थे, वह अब भी मेरे परिसर में ही स्थित है और उसे सूरज कुंड कहा जाता है। मुझ तक पहुंचने के लिए कई प्रवेश द्वार मुझ तक पहुंचने के लिए अनेक प्रवेश द्वार हैं। इनमें आलमगिरि या ग्वालियर द्वार, गणेश द्वार, चतुर्भुज द्वार, उरवाई द्वार, लक्ष्मण द्वार, बादल महल या हिंडोल द्वार और हाथी पोल शामिल हैं। हाथी पोल मेरा मुख्य प्रवेश द्वार है, जो मेरे परिसर के दक्षिण-पूर्व भाग में स्थित है। यह मानसिंह महल के पूर्वी अग्रभाग का हिस्सा है। ऐसा माना जाता है कि जिस हाथी की मूर्ति (जिसका वर्णन इब्न बतूता ने अपने संस्मरणों में भी किया है) के कारण द्वार का नाम रखा गया था, वह मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर हटा दी गई थी। किले के अंदर मौजूद पानी के जलाशयों से 15000 सैनिकों के लिए महीनों तक पानी की आपूर्ति हो सकती थी। मेरे परिसर में एक पवित्र आध्यात्मिक स्थान भी है मैं रक्षात्मक गढ़ होने के अतिरिक्त, एक पवित्र आध्यात्मिक स्थान भी हूं। मेरे परिसर में कुछ उत्कृष्ट मंदिर भी हैं, जो प्रारंभिक मध्यकालीन मंदिर वास्तुकला के आदर्श नमूने हैं। वास्तव में इसी अवधि के आसपास, ग्वालियर शहर, वास्तुकला की नागर शैली के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा था। संस्कृत के एक अभिलेख के अनुसार, छठी शताब्दी ईस्वी के हूण सम्राट, मिहिरकुल, के शासनकाल में ग्वालियर में एक सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ था। मेरे परिसर में बना तेली का मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यहां के सभी मंदिरों में यह सबसे बड़ा है। 9वीं शताब्दी ईस्वी में गुर्जर-प्रतिहार शासकों द्वारा बनवाया गया यह मंदिर, वास्तुकला की नागर और द्रविड़ शैलियों के सुंदर मेल का एक अद्भुत उदाहरण है। 11वीं शताब्दी में प्रसिद्ध सहस्रबाहु मंदिर का निर्माण हुआ था, जो अब सास-बहू मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर, कच्छपघाट वंश के राजा महिपाल ने बनवाया था। इसके नाम के कारण, मेरे प्रति लोगों की रुचि जागृत हुई। मेरे परिसर में भगवान विष्णु को एक हजार हाथों के साथ दर्शाया गया है, जिसके कारण इसका नाम सहस्रबाहु पड़ा। ऐसा माना जाता है कि राजा महिपाल की रानी भगवान विष्णु की परम भक्त थीं और उनकी पुत्रवधू भगवान शिव की पूजा करती थीं। इसके कारण, उनकी पुत्रवधू की पूजा के लिए सहस्त्रबाहु मंदिर की एक प्रतिकृति बनाई गई थी, जो भगवान शिव को समर्पित थी। इस प्रकार जुड़वां मंदिरों का निर्माण हुआ, जिसे अब आमतौर पर सास-बहू मंदिर कहते हैं। यह भी है मेरे परिसर में भगवान विष्णु को समर्पित गरुड़ स्मारक मेरे परिसर में सबसे ऊंचा स्थान है, जो तेली के मंदिर के पास ही स्थित है। मेरे परिसर में ध्यान की कायोत्सर्ग मुद्रा में 24 तीर्थंकरों को दर्शाती सिद्धाचल गुफ़ाएं हैं। ऐसा माना जाता है कि…

Singer Shekhar Ravjiani’s big revelation, said have lost my voice 2 years ago | सिंगर शेखर रवजियानी का बड़ा खुलासा: कहा- 2 साल पहले चली गई थी आवाज, लगा था कभी गा नहीं पाऊंगा, आवाज से नफरत हो गई थी

8 मिनट पहले कॉपी लिंक तुझे भुला दिया, बिन तेरे और मेहरबान जैसे बेहतरीन गानों को आवाज देने वाले सिंगर और कंपोजर शेखर रवजियानी ने हाल ही में बड़ा खुलासा किया है। उनकी और विशाल डडलानी की जोड़ी विशाल-शेखर ने बॉलीवुड के गई हिट गाने दिए हैं, हालांकि एक समय ऐसा भी रहा जब शेखर की आवाज चली गई। हाल ही में सिंगर ने बताया है कि इस हादसे से वो बुरी तरह टूट गए थे। उन्हें लगा था कि वो जिंदगी में अब कभी गाना नहीं गा सकेंगे। शेखर रवजियानी ने हाल ही में सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपनी जिंदगी के इस बुरे वक्त को याद किया। उन्होंने लिखा है, मैंने इस बारे में इससे पहले कभी नहीं बताया, लेकिन मुझे लगा कि इस बारे में बात करनी चाहिए। 2 साल पहले मेरी आवाज चली गई थी। मुझे वोकल कोर्ड पैरालिसिस हुआ था, जिसे डॉक्टर नुपुर नेरुकर ने डायग्नोज किया था। मैं तबाह हो गया था। वाकई में मैं निराशावादी हो गया था। मुझे लगा था कि मैं जिंदगी में अब कभी गा नहीं सकूंगा। आगे सिंगर ने लिखा है, मेरा परिवार परेशान था और उन्हें चिंता में देखकर मैं खुश नहीं था। मैं बहुत प्रार्थना करता था। मैं सेंट डियागो में जेरेमी से मिला, उसने मुझे एक फरिश्ते से मिलवाया, जिसका जिक्र मैं आगे करूंगा। डॉ एरिन वॉल्श- जिनसे मैं कोविड के चलते मिल नहीं सका, तो वो मुझसे जूम कॉल के जरिए जुड़े। मुझे याद है कि ये कहते हुए मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे कि मैं दोबारा गाना चाहता हूं। मैंने उनसे भीख मांगी कि वो कुछ करें। पहली बात जो उन्होंने मुझ से कही वो ये कि मुझे आवाज जाने पर खुद को दोषी नहीं मानना चाहिए। उन्होंने मुझे बहुत कंफर्टेबल किया और चमत्कार से मुझे यकीन दिलाया कि मैं दोबारा गा सकूंगा। जो पहला कदम था। अपनी पोस्ट में शेखर आगे लिखते हैं, जब भी मैं कोशिश करता था मेरी कर्कशी आवाज से मुझे नफरत हो रही थी। लेकिन वो लगातार मेरी आवाज पर काम करती रहीं। उनकी लगन से एक हफ्ते मेरी वोकल कोर्ड से पैरालाइज डला गया और मेरी आवाज नॉर्मल होने लगी। अब मैं पूरी तरह ठीक हूं और अब मैं पहले से भी अच्छा गा सकता हूं। शुक्रिया एरिन वॉल्श इस दुनिया में मेरे लिए फरिश्ता बनने के लिए। शेखर के दोस्त और साथी कंपोजर विशाल डडलानी ने कमेंट में लिखा है, तुम्हें ऐसा करते हुए देखा है। तुमने डर के बीच इस पर काम किया है। इसके लिए एक अलग साहस की जरुरत होती है। अब भी देखता हूं कि तुम किस तरह अपनी आवाज और मेंटल हेल्थ का ख्याल रख रहे हो। जाहिर है मैं भी इससे सीख रहा हूं। बताते चलें कि विशाल शेखर की कंपोजर जोड़ियों ने दस, ओम शांति ओम, स्टूडेंट ऑफ द ईयर, चेन्नई एक्सप्रेस, सुल्तान, वॉर जैसी दर्जनों सुपरहिट फिल्मों के लिए कंपोजिशन किया है। खबरें और भी हैं…

बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी से पहले ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ने जसप्रीत बुमराह को क्यों बताया बिल्ली?

नई दिल्ली. भारत के खिलाफ सीरीज से पहले आस्ट्रेलियाई क्रिकेट जगत में तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को लेकर चर्चायें शुरू हो गई है, जिन्हें आस्ट्रेलिया के आक्रामक बल्लेबाज ट्रेविस हेड ने ‘एक्स फैक्टर’ कहा तो पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने कहा कि बिल्ली की तरह दबे पांव आकर कमाल कर जाता है. बुमराह 22 नवंबर से शुरू हो रहे पहले टेस्ट में भारत की कप्तानी करेंगे. आस्ट्रेलिया के मौजूदा और पूर्व क्रिकेटरों ने सीरीज से पहले उनकी तारीफों के पुल बांधे हैं. बुमराह ने पिछले दो टेस्ट दौरों पर आस्ट्रेलिया के खिलाफ 32 विकेट लिये थे जिसमें 2018 बॉक्सिंग डे टेस्ट पर लिये गए छह विकेट शामिल हैं. ट्रेविस हेड ने ‘फॉक्स क्रिकेट’ से कहा ,‘‘ उसका सामना करना नामुमकिन जैसा है. आपको लगता है कि आप एक कदम आगे हैं लेकिन हमेशा वह आपसे एक कदम आगे निकलता है. खेल के किसी भी प्रारूप में वह अद्भुत है. वह एक्स फैक्टर है और हर मैच में छाप छोड़ने वालों में से है. बड़े मैचों में आपको बड़े खिलाड़ी चाहिये और वह सबसे बड़ा है. वह बल्लेबाजों की परेशानी का सबब बनने वाला है.’’ बुमराह का गेंदबाजी एक्शन शानदार है. ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ब्रेट ली ने मजाकिया अंदाज में कहा ,‘‘ वह बिल्ली की तरह दबे पांव आता है. उस्मान ख्वाजा ने कहा ,‘‘ जब मैने पहली बार बुमराह का सामना किया तो मुझे लगा कि अरे यह अचानक कहां से आ गया. उसके एक्शन और गेंद छोड़ने के तरीके की वजह से वह थोड़ा जल्दी आता है. मिचेल जॉनसन की तरह.’’ FIRST PUBLISHED : November 19, 2024, 13:43 IST

भैरव अष्टमी 2024: भैरव अष्टमी 22 को, व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध

भैरव प्रवचनमी 22 नवंबर को है। ख़ास बात यह है कि इस बार भैरव अभ्यावेदन पर रवि योग व इंद्र योग भी बन रहे हैं, अभ्युदय अध्यापिका के व्रत से मनोवांछित फल मिलता है। साथ ही साधक को विशेष कार्य में सफलता भी मिलती है। द्वारा जोगेंद्र सेन प्रकाशित तिथि: मंगल, 19 नवंबर 2024 12:21:55 अपराह्न (IST) अद्यतन दिनांक: मंगल, 19 नवंबर 2024 01:42:21 अपराह्न (IST) भैरव अष्टमी 22 को, व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध पर प्रकाश डाला गया भैरव अष्टमी पर ब्रह्म योग और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है भैरव अष्टमी पर व्रत करने से मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है तंत्र विद्या सीखने वाले साधक करते हैं भैरव की कठिन तपस्या नईदुनिया प्रतिनिधि, स्थान। रवि योग और इंद्र योग में 22 नवंबर को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। भैरव अष्टमी को देवाधिदेव महादेव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से मनोवांछित फल मिलता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव देव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता और सफलता मिलती है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन पूजा करते हैं। धार्मिक विद्वानों के अनुसार इसी दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। सिद्धांत यह है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-पाठ करते हैं, दान करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। कालाष्टमी पर शुभ योग इस दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही इंद्र योग का निर्माण होगा। इसके अलावा रवि योग बनेगा। इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। काल भैरव चित्रांकन में प्रारम्भ भैरव अष्टमी में सप्ताहभर शेष है। नगर के प्रमुख भैरव मंदिर नया बाजार, सराफा बाजार, माधवगंज, स्टेशन पुल के नीचे शस्त्रागारपूर्ण हनुमान मंदिर व सिटी सेंटर स्थित महाबली मंदिर में विराजित भैरव सहित अन्य मंदिरों में भी स्थापित हुए हैं। हनुमान जी की तरह भैरवजी की प्रतिमा पर भी सिन्दूर का चोला चढ़ाया गया है। मूंग और फूलद की दाल के मंगौड़े, इमरती, कचौड़ी का भोग निर्विकारी होता है। भैरव अष्टमी के साथ 56 भोग व भंडारों का भी आयोजन। भैरव अष्टमी पर यह रहेगा शुभ उत्सव वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम छह बजे सात मिनट पर प्रारंभ होगी। इस तिथि का समापन 23 नवंबर को शाम 56 मिनट पर होगा। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। इसलिए 22 नवंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन मासिक कृष्ण जन्मामी भी मनाएंगे।

सड़क दुर्घटना में दो युवकों की दर्दनाक मौत, एक नाबालिग गंभीर

ग्राम हड़कलखाती निवासी तीनों शख्स खिमलासा में मकान में पुट्टी का काम कर रहे थे। वहां से लौटते वक्त बेलई तिराहे के पास अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। By OP Tamrakar Publish Date: Tue, 19 Nov 2024 01:26:16 PM (IST) Up to date Date: Tue, 19 Nov 2024 01:26:16 PM (IST) बीना में अस्पताल के बाहर खड़ी पुलिस। HighLights बेलई तिराहे पर हुआ हादसा। एक बाइक पर सवार थे तीनों। टक्कर मारने वाले वाहन की तलाश। नवदुनिया प्रतिनिधि, बीना (सागर) Street Accident: सोमवार रात सड़क दुर्घटना में दो युवकों की मौत हो गई, जबकि उनका एक नाबालिग साथी गंभीर रूप से घायल हो गया। तीनों खिमलासा से काम करके बाइक पर वापस लौट रहे थे। बेलई तिराहे पर अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। इस हादसे में तीनों बुरी तरह घायल हो गए, जिनमें से दो की मौके पर ही मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल नाबालिग को बुंदेलखंड मेडिकल कालेज रैफर किया गया है। यह है घटनाक्रम जानकारी के अनुसार ग्राम हड़कलखाती निवासी अनुराग पिता बालकिशन कुशवाहा उम्र 20 वर्ष, रोहित लोधी पिता देशराज लोधी उम्र 25 वर्ष तथा हर्षित पिता देवेंद्र कुशवाहा उम्र 17 वर्ष, तीनों खिमलासा में मकान में पुट्टी का काम कर रहे थे। दो दिन से रोजाना यह खिमलासा जाते और शाम को वापस अपने घर आ जाते थे। सोमवार की देर रात तीनों बाइक से वापस लौट रहे थे, बेलई तिराहे पर अज्ञात वाहन की चपेट में यह आ गए। जिससे अनुराग तथा रोहित की मौके पर ही मौत हो गई। हर्षित गंभीर रूप से घायल हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया। घायल को डायल-100 की मदद से अस्पताल लाया गया। जहां प्राथमिक उपचार देकर उसे बुंदेलखंड मेडिकल कालेज सागर रैफर कर दिया गया। दोनों मृतकों के शवों को मर्चुरी में रखवाया गया था। मंगलवार की सुबह पुलिस ने पंचनामा कार्रवाई कर शवों का पोस्टमार्टम कराया। हादसा कैसे हुआ, इसकी सही जानकारी फिलहाल पुलिस को नहीं लग सकी है।

The Sabarmati Report film made tax free in Madhya Pradesh, CM mohan yadav announce | मध्यप्रदेश में टैक्स फ्री हुई फिल्म द साबरमती रिपोर्ट: CM डॉ मोहन यादव ने की घोषणा, अमित शाह भी कर चुके हैं फिल्म की तारीफ

2 मिनट पहले कॉपी लिंक 15 नवंबर को रिलीज हुई फिल्म द साबरमती रिपोर्ट लगातार सुर्खियों में हैं। क्रिटिक्स की तारीफों के बाद अब इस फिल्म को पॉलिटिकल सपोर्ट भी मिल रहा है। हाल ही में इस फिल्म को मध्यप्रदेश में टैक्स फ्री कर दिया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इसकी घोषणा करते हुए दूसरे नेताओं को भी फिल्म देखने का सुझाव दिया है। सीएम मोहन यादव फिल्म द साबरमती रिपोर्ट देखने पहुंचे थे। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, हम इस फिल्म को टैक्स फ्री करने जा रहे हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस फिल्म को देख सकें। ये अतीत का एक काला अध्याय है जिसकी सच्चाई इस फिल्म को देखने के बाद समझ आती है। इसके साथ ही मोहन यादव ने अपने साथी मंत्रियों और सांसदों से भी फिल्म देखने की अपील की है। अमित शाह ने की ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की तारीफ गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने फिल्म द साबरमती रिपोर्ट की तारीफ की और साथ ही इस फिल्म को देखने की वजह भी बताई। प्रधानमंत्री मोदी ने भी की थी तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की तारीफ की थी। उन्होंने एक्स पर लिखा था, ‘एक झूठी कहानी सीमित समय तक ही चल सकती है। आखिरकार, तथ्य हमेशा सामने आ ही जाते हैं।’ जानें क्या है फिल्म का चुनावी कनेक्शन! दरअसल, गुजरात में इस घटना के समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनके नाम को अक्सर उस त्रासदी से जोड़ा जाता है। मार्च 2002 में उन्होंने गोधरा कांड की जांच के लिए नानावटी-शाह आयोग बनाया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने। आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 में पेश किया। इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया। साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दी गई। 2009 में जस्टिस केजी शाह का निधन हो गया। जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और तब आयोग का नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया। आयोग ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया। इसमें भी रिपोर्ट के पहले हिस्से में कही गई बात दोहराई गई। इन फिल्मों की भी तारीफ कर चुके हैं पीएम मोदी पीएम मोदी ने इससे पहले द कश्मीर फाइल्स और आर्टिकल 370 फिल्मों की भी तारीफ की थी। 12 मार्च 2022 को द कश्मीर फाइल्स के मेकर्स ने पीएम से मुलाकात की थी। फिल्म के प्रोड्यूसर अभिषेक अग्रवाल ने मुलाकात की फोटोज शेयर करते हुए लिखा था- ‘माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। यह मुलाकात और खास इसलिए बनी क्योंकि उन्होंने ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तारीफ की। इस फिल्म को प्रोड्यूस करके हमें गर्व महसूस हो रहा है। थैंक यू मोदी जी।’ वहीं, इस साल 22 फरवरी को पीएम मोदी ने जम्मू में एक रैली के दौरान कहा, ‘मैंने सुना है कि इस हफ्ते ‘आर्टिकल 370′ पर एक फिल्म रिलीज होने वाली है… ये अच्छी बात है, क्योंकि इससे लोगों को सही जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी।’ —————————- इससे जुड़ी खबरें पढ़ें 1. गोधरा कांड की सच्चाई तलाशती ‘साबरमती रिपोर्ट’:विक्रांत मैसी की एक्टिंग लाजवाब विक्रांत मैसी, रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना स्टारर फिल्म द साबरमती रिपोर्ट रिलीज हो गई है। फिल्म की लेंथ 2 घंटे 3 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार रेटिंग दी है। पूरी खबर पढ़ें… 2. ‘गोधरा कांड की आग में रोटियां सेंकीं गईं’:इस पर बनी फिल्म करने पर धमकियां 15 नवंबर को फिल्म रिलीज हो रही है- द साबरमती रिपोर्ट। यह फिल्म गोधरा कांड और उसके बाद हुए गुजरात दंगों पर आधारित है। ट्रेलर रिलीज के बाद फिल्म विवादों में भी है। फिल्म के लीड एक्टर विक्रांत मैसी को धमकियां मिल रही हैं। यहां तक कि विरोधी उनके 9 महीने के बच्चे को भी नहीं छोड़ रहे। उसके बारे में भी अनाप-शनाप बोल रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…

शादी में परिवार था, साधु उद्योगपति ने सूने मकान से चोरी कर लिया, सोना बेचकर चला गया, दोनों को गिरफ्तार कर लिया

कबीटपुरा रेजिडेंट परिवार की रात को क्यूबा में शादी का जश्न मनाया गया। अगली सुबह लौटा तो देखा कि अलमारी में आभूषण गायब थे। मुखबिर की सूचना के आधार पर पुलिस ने चार घंटे की पूछताछ में दोनों दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया। द्वारा आनंद दुबे प्रकाशित तिथि: मंगल, 19 नवंबर 2024 02:07:36 अपराह्न (IST) अद्यतन दिनांक: मंगल, 19 नवंबर 2024 02:07:36 अपराह्न (IST) मकान का ताला चटकाकर चोरी – ऐतिहासिक चित्र पर प्रकाश डाला गया टीला जमालपुरा क्षेत्र में हुई घटना। पुलिस ने चार घंटे तक चलाया एनकाउंटर। बिचौलिए से चोरी का माल भी बरामद। नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। शहर के टीला जमालपुरा इलाके में एक सूने मकान से पांच लाख रुपये की कीमत का सोना-आलारे के गोदाम में चोरियां हो गई थीं। घटना के समय पीड़ित परिवार एक विवाह समारोह में शामिल हुआ था। शिकायत मिलने के बाद पुलिस तुरंत सक्रिय हुई और महज चार घंटे में मामले को सुलझा लिया गया। इस मामले में पुलिस ने दो बदमाशों को गिरफ्तार कर उनके पास से चोरी का सामान भी बरामद किया है। दोनों अनिश्चय में साधु भाई हैं। पुलिस पूछताछ कर चोरी के अन्य सामानों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही है। दूसरे इलाके में थी शादी टीला जमालपुरा थाना प्रभारी सरिता बर्मन ने बताया कि सोमवार को दोपहर एक बजे कबीटपुरा निवासी लता पत्नी मनोज सिरमोरिया ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें बताया गया है कि रविवार की रात वह अपने अवशेषों के साथ छोला मंदिर क्षेत्र में अपने कोलंबिया के घर विवाह समारोह में भाग गया था। रिटर्न्सकर आने पर पता चला सोमवार सुबह 6 बजे वे लोग घर से वापस निकले तो डोरलॉक का रिकॉर्ड हुआ। अंदर पर्यटक ने देखा तो आकाश में भी सामान बिखरा हुआ था। लाइब्रेरी एवं उसका लॉकर का रिकॉर्ड भी हुआ था। इसमें 70 ग्राम सोने के गहने और चांदी के आभूषण भी शामिल थे। कीमत कीमत करीब पांच लाख रुपये थी। पुलिस ने किया ऐसा अनोखा मामला पुलिस द्वारा चोरी का मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। इसी दौरान मुखबिर से पता चला कि घटना के समय बाग फ्री साहब, उनके निवासपुरा निवासी सरवर और भाई बकेट लता सिमरोलिया के घर के आसपास के इलाके में देखे गए थे। संदेह के आधार पर पुलिस ने शाम पांच बजे दोनों से पूछताछ की। उन्होंने चोरी करते हुए विश्वास कर लिया। 24 वर्ष सरवर और 22 वर्ष की आयु को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी निशानदेही पर चोरी का पूरा माल भी बरामद कर लिया गया।

जिला शिक्षा कार्यालय बदहाल, कुर्सी पर अधिकारी नहीं, चैंबर पर डले हैं ताले

कोई सामान्य व्यक्ति अगर शहर में आए और किसी से पूछ कर जिला शिक्षा कार्यालय पहुंचना चाहे तो सुबह से शाम हो जाएगी लेकिन आसानी से वो जिला शिक्षा कार्यालय को खोज नहीं सकता। यदि कार्यालय मिल भी जाए तो उसमें अफसर व कर्मचारी नहीं मिलेंगे। नईदुनिया संवाददाता को भी यहां के हालात ठीक नहीं मिले। By Vikram Singh Tomar Publish Date: Tue, 19 Nov 2024 02:06:33 PM (IST) Up to date Date: Tue, 19 Nov 2024 02:06:33 PM (IST) जिला शिक्षा कार्यालय जहां पर नहीं मिलते अफसर। HighLights कार्यालय पर काम लेकर पहुंचे लोगों को निराश होकर लौटना पडता है वापस कार्यालय में अफसरों की कुर्सियों पर सिर्फ तौलिया सूखती मिलती हैं नईदुनिया ने जिला शिक्षा अधिकारी आफिस पहुंचकर जानी वास्तविकता नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। ग्वालियर जिले के अंतर्गत शामिल तमाम गावों सहित शहरी स्कूलों के एक मात्र शिक्षा कार्यालय का हाल बड़ा ही खराब है। कोई सामान्य व्यक्ति अगर शहर में आए और किसी से पूछ कर जिला शिक्षा कार्यालय पहुंचना चाहे तो सुबह से शाम हो जाएगी लेकिन आसानी से वो जिला शिक्षा कार्यालय को खोज नहीं सकता। अगर मान लाे कैसे भी कर के कार्यालय तक पहुंच भी जाए तो अधिकारियों की कुर्सियों पर सिर्फ तौलिया सूखती मिलेंगी। कुछ अधिकारियों के चैंबर खाली पड़े होंगे वहीं जिला शिक्षा अधिकारी के चैंबर पर मोटा सा ताला लटका मिलेगा। यह सब बातें और शिकायतें आए दिन सुनने को मिलती थी। इन आरोपों में कितनी सच्चाई है यह जानने के लिए नईदुनिया ने साेमवार को जिला शिक्षा अधिकारी आफिस पहुंच कर वास्तविकता जानी, और पाया कि जो आरोप डीईओ आफिस पर लगाए जाते हैं वह सभी काफी हद तक सही हैं। आप भी पढ़िए क्या है जिला शिक्षा कार्यालय के हाल…. यह मिले स्पाट पर हालात: स्थान : जिला शिक्षा कार्यालय प्रवेश द्वार के पास समय: 2 बजकर 24 मिनट स्थिति: जिला शिक्षा कार्यालय में प्रवेश करते ही बांए हाथ ही ओर सीढ़ियां हैं जो जेडी कार्यालय की ओर जाती हैं। इनके पास भारी मात्रा में कबाडा पसरा हुआ है। जिसमें पुरानी खाट, झाड़ू और चाय के गिलास पड़े मिले। न कोई डस्टबिन वहां मिला जिसमें कुछ कचरा डाला जा सकता। स्थान : जेडी के उपसंचालक का चैंबर समय: दोपहर 2 बजकर 52 मिनट स्थिति: जेडी आफिस में बने उप संचालक के चैंबर में कुर्सी पर तोलिया सूखती मिली । जिस सीट पर उप संचालक हरिओम चतुर्वेदी को बैठा होना चाहिए उस कुर्सी क्या पूरे चैंबर में कोई नहीं था। काफी समय इंतजार करने के बाद भी अधिकारी नहीं आए। लोग परेशान होकर जाते रहे। स्थान : जिला शिक्षा अधिकारी का चैंबर समय:2 बजकर 56 मिनट स्थिति: अधिकारी के गेट पर ताला लटक रहा था। जिले के शिक्षा अधिकारी के बतौर डीईओ अजय कटियार को अपने चैंबर में अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए। लेकिन वह अक्सरकर अपने चैंबर से गायब ही रहते हैं ओर जिस समय नईदुनिया ने जाकर देखा उस समय चैंबर पर ताला लटक रहा था। कार्यालय का साइन बोर्ड नहीं ,शौचालय भी बदबूदार गोविंद पुरी से सिरौल आते हुए कहीं भी किसी प्रकार का ऐसा बोर्ड नहीं मिला जिस पर यह स्पष्ट अंकित हो कि जिला शिक्षा कार्यालय का रास्ता कहां है। जिस मोड़ से जिला शिक्षा कार्यालय के लिए जाते हैं वहां भी ऐसा कोई भी बोर्ड नहीं दिखा जो कार्यालय का रास्ता बताता हो। कार्यालय भवन के सामने पहुंचने पर भवन पर बोर्ड लगा दिखा। बता दें भवन के भीतर बने शौचालय भी बड़ी चिंताजनक स्थिति में थे, उनमें से दुर्गंध भी आ रही थी ।