कवच भारतीय रेलवे इजाद द्वारा की गई तकनीक है, जिसमें इंजन पर लगे सेंसर और सिस्टम के मदद से दो हिस्सों के अवशेष- सामने आने पर स्वचालित ब्रेक लग जाते हैं। रेलवे लगातार इस तकनीक का विस्तार कर रहा है। अब रियल एस्टेट-चंदेरिया और नागादा-भोपाल सेक्शन में नीमच, मंदसौर, मसामान, भोपाल तक की स्पीड से चलते हैं।
द्वारा नरेंद्र जोशी
प्रकाशित तिथि: मंगल, 19 नवंबर 2024 02:36:26 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: मंगल, 19 नवंबर 2024 02:36:26 अपराह्न (IST)
पर प्रकाश डाला गया
- जारी किए गए टेंडर, नई तकनीक का होगा उपयोग
- आउटगोइंग की गति बढ़ाने के लिए लगातार काम जारी
- मुंबई-दिल्ली रूट के 789 किमी से 503 किमी
नरेन्द्र जोशी, मराठा। ऑक्सफोर्ड की गति बढ़ाने के साथ ही सुरक्षा को लेकर रेलवे संसाधन मजबूत हो रहा है। दिल्ली-मुम्बई रेल मार्ग के साथ ही मराठा रेल मंडल से लेकर चंदेरिया और नागदा तक भोपाल तक का सेक्शन भी सुसज्जित होगा।
इसके लिए रेल मंडल से टेंडर जारी हो गए हैं। काम पूरा करने के लिए दो साल की समय सीमा निर्धारित की गई है। इसे नीमच, मंदसौर के साथ ही मज्जन, भोपाल तक स्कोडा की गति से जारी किया गया।
रायलम-चंदेरिया और नागादा-भोपाल खंड पर कवच संस्करण 4.0 का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें 120.72 करोड़ रुपए की लागत आएगी। रायलम रेल मंडल के 427.83 किलोमीटर के पूर्ण ब्लॉक सेक्शन में यह सिस्टम लगेगा। चार दिसंबर तक शर्ते तय जा सकती हैं।
मुंबई-दिल्ली रेल मार्ग 789 किमी से 503 किमी पूरा है
- यहां मुंबई-दिल्ली रेल मार्ग पर क्रॉस्को की स्पीड 160 किमी प्रति घंटे के लिए मिशन में ब्रिजों के स्केल, ओह का रख-रखाव, सिग्नलिंग सिस्टम में सुधार, कर्व का री-एलाइनमेंट, एचबीआईएम स्लीपरप्लांट दिए गए हैं।
- वर्तमान में वडोदरा-अहमदाबाद खंड सहित मुंबई सेंट्रल-नागदा खंड पर 90 लोको के साथ 789 किमी पर कवच का काम चल रहा है। इसमें 503 किमी तक लोको का परीक्षण हो चुका है।
- 90 में से 73 लोकोमोटिव पहले ही कव्ज़ सिस्टम से लॉन्च किया जा चुका है। वडोदरा-रतलाम-नागदा खंड के 303 किलोमीटर में 173 लोको ट्रायल पूरा हो चुका है। मार्च 2025 तक काम पूरा होने की संभावना है।
कवच क्या है (What’s Kawach)
स्वचालित ट्रेन सुरक्षा तकनीक ‘कवच’ ट्रेन सुरक्षा और इंटरैक्टिव इंटरनैशनल को बढ़ावा देती है। इंजन पर लगे सेंसर, कंप्यूटर सिस्टम से एक ही ट्रैक पर दो के विवरण- सामने आने पर ऑटोमैटिक ब्रेक लॉग जाते हैं।
आरडीएस ने समुद्री यात्रियों को रोकने, खतरे में सिग्नल पासिंग से बचने में लोको पायलटों की सहायता के लिए कवच विकसित किया है। इससे 200 किमी प्रति घंटे की गति कम की जा सकती है। ट्रेनों की गति सीमा के भीतर चली जाएगी और इसकी वास्तविक समय निगरानी भी होगी।
यह भी काम किया
ट्रैक पर पशु आदि न आएं, इसके लिए नागदा-गोधरा खंड में लगभग 56 करोड़ की लागत से रेलवे ट्रैक के दोनों ओर कुल 160 किमी का प्लाइज़ोलम का निर्माण होना है। करीब 100 किमी की सिलिकॉनवाल बनाई गई है।