जैसे ही ठंड ने दस्तक दी है और अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है। वैसे ही भगवान का भी खानपान व परिधान बदल गए हैं। हर मंदिर में भगवान के सामान्य परिधानों की जगह गर्म कपडे आ गए हैं और भोग में भी गर्म चीजें आ गई हैं।
By Jogendra Sen
Publish Date: Tue, 19 Nov 2024 11:56:51 AM (IST)
Up to date Date: Tue, 19 Nov 2024 11:56:51 AM (IST)
HighLights
- भगवान को भी सताने लगी ठंड, भोग भी बदला
- परिधान में गर्म वस्त्र धारण कराये जा रहे हैं
- ठाकुरजी को कुनकुन पानी से स्नान कराया जा रहा है
नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। वैसे तो इस भगवान पर शीत,ग्रीष्म व बारिश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। सनातन धर्म में भाव पूजा को प्रधानता दी गई है। इसलिए ऋतू परिवर्तन होने पर मंदिर के पट खुलने, बंद होने, मंगला व शयन आरती के समय परिवर्तन के साथ भगवान के परिधान और बाल्य भोग व राजशी भोग की थाली का बदल जाता है।
पहली बार नगर में सोमवार को ठंड का एहसास होने पर ऊनी वस्त्र धारण कराये गये और भोग की थाली में गरम तासीर वाले खाद्य पदार्थ और पेय अर्पित किया। इसके साथ ही भगवान को लगने वाला इत्र भी बदल दिया गया है। बाजार में ठाकुरजी व राधारानी सहित अन्य देवी-देवताओं के ऊनी कपड़े बाजार में उपलब्ध हैं। कुछ श्रद्धालु अपने ठाकुरजी को बचाने के लिए हाथों से भगवान के गरम वस्त्र तैयार कर रही हैं।
मार्गशीर्ष (अगहन) मास के तीसरे दिन ठंड ने अपने तेवर दिखाने शुरु कर दिये हैं।रात से नगर के क्षितिज कोहरे के धुंध नजर आने लगी और लोगों को सोमवार को गरम कपड़े पहने के लिए मजबूर होना पड़ा हैं। ठंड का एहसास होने पर सोमवार को भगवान के परिधान भी बदल दिये गये हैं। ठाकुर जी को ठंडे पानी से सर्दी-जुकाम नहीं हो जाए,इसलिए उन्हें कुन-कुने पानी से स्नान कराकर ऊनी परिधान और सिर टोपी धारण कराई गई।
सनातन धर्म मंदिर
- सनातन धर्म मंदिर के मुख्य पुजारी रमाकांत शास्त्री ने बताया कि मार्ग शीर्ष की प्रतिपदा से मंदिर की दिनचर्या परिवर्तन शीत ऋतू के अनुसार किया गया है। मंदिर के पट अब प्रतिदिन सुबह साढ़े छह बजे खुलेंगे, श्रृंगार आरती सुबह आठ बजे होगी, राजभोग आरती साढ़े ग्यारह बजे होगी। शाम को पट चार बजे खुलेंगे रात साढ़े आठ बजे शयन आरती होगी। भगवान चक्रधर व गिरिराज धारण मंदिर में सभी विरीजित देवों के परिधान भी शरद ऋतू के अनुसार धारण कराये जा रहे है। हल्की शाल भी ठाकुरजी को ओढ़ोई जा रही है। इसके अलावा ऊनी वस्त्र भी ठाकुरजी धारण कर रहे हैं।
- भोग- भगवान चक्रधर के भोग में अब परिवर्तन हो गया है। तिल-गुड़ के मिष्ठान के साथ मौसमी हरी सब्जियां, सूखे मेबे, भतुआ की रायता, मैंथी, आलू के परांठे व पनीर अर्पित किया जा रहा है। इसके साथ ही केशर का दूध अर्पित किया जा रहा है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर
- लक्ष्मीनारायण मंदिर के मुख्य पुजारी संजय लव्हाटे ने बताया कि एकादशी से परिधान,भोग व पट खोलने के समय परिवर्तन किया जाता है। दीपावली के बाद भी गर्मी होने के कारण इस वर्ष मंगलवार से मंदिर की दिनचर्या बदली जा रही है। मंदिर के पट सुबह साढ़े छह बजे बजाये की सुबह सात बजे खुलेंगे और मंगलाआरती सुबह साढ़े नौ बजे होगी और शाम को मंदिर के पट शाम पांच बजे के बजाये साढ़े चार बजे खुलेंगे और शयन आरती का समय रात साढ़े नौ बजे होगा।श्री हरि व माता लक्ष्मी को ऊनी परिधान धारण कराये जायेंगे साथ ही ऊनी टोपा लगाया जाएगा।
- भोग में सुबह दाल-चाबल,हरी सब्जी के साथ चपाती के साथ बाजरा, मक्का, के भोग अर्पित किये जायेंगे और ड्राइफ्रूट व खीर अर्पित की जायेगी। शाम को शयन कराने से पहले केशर का दूध मेबा मिष्ठान के साथ अर्पित किये जायेगा।