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टोल टैक्स राजस्व: साल 2000 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली की प्रक्रिया शुरू हुई जिसके बाद भारत सरकार ने लगभग 2.1 लाख करोड़ रुपये का ग्रामीण शुल्क इकट्ठा किया। ये राइस हाइवे और एक्सप्रेसवे नेटवर्क के निर्माण में खर्च का एक छोटा सा हिस्सा है। चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने 2.7 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जो देश में सड़क निर्माण के विकास को लेकर सरकार की प्राथमिकताओं को शामिल करता है।

पिछले 24 साल में पब्लिक-निजी पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉड के तहत निर्मित राजमार्गों से लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है। इन प्रोजेक्ट्स में सबसे महत्वपूर्ण NH-48 के उपभोक्ता-जयपुर गैलरी में उपभोक्ताओं से लगभग 8,528 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। इस चित्र में लिखा है कि किस तरह से प्राइवेट कंपनी ने हाईवे प्रोजेक्ट में निवेश किया है।

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा टोलवॉइस

उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक टोल राजस्व प्राप्त होता है। यूपी का देश में सबसे बड़ा हाईवे नेटवर्क है और यहां सबसे ज्यादा यात्री शुल्क भी वसूला जाता है। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे उत्तर-पूर्वी राज्यों से कोई टोल राजस्व प्राप्त नहीं हुआ है, जिससे उनके विकास में महत्वपूर्ण चुनौती उभर कर सामने आई है।

45,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग टोलवेज़ पर

वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई लगभग 1.5 लाख किलोमीटर है, जिसमें से 45,000 किलोमीटर प्रति टोल की वसूली हो रही है। सरकार केवल सॉलिड हाईवे पर टोल वसूली करती है जो कम से कम ऑटोमोबाइल लेन में होती है। इस समय भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएच राजमार्ग) का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक राजमार्गों को टोल के हिस्सों में लाया जाए ताकि राजस्व में वृद्धि हो सके।

सरकार की भारी निवेश योजना

पिछले पांच साल में सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और परियोजनाओं पर 10.2 लाख करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इस चित्र में लिखा है कि सरकार सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास में लगातार भारी निवेश कर रही है ताकि आने वाले सागर में भारत के ढांचे को और अधिक मजबूत बनाया जा सके।

टोल वेव्स का पात्र

दिसंबर 2000 से पब्लिक-निजी पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत संचालित शुल्क प्लाजा पर लगभग 1.44 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई। ये रशीद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्गों पर सभी टोल प्लाज़ों की ओर से इक्ट्ठी की गई है और यह सुनिश्चित किया गया है कि इन टोल प्लाज़ों का संचालन संबंधित रेलवे और कैन्सेशन अनुबंध के तहत हो। सरकार की ये योजना न सिर्फ सड़क निर्माण और विकास को सुनिश्चित करती है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान देती है।

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