किसी भी कंपनी की इक्विटी कंडीशन की खोज और निवेश के लिए उसकी इक्विटी शेयरहोल्डिंग बेहद जरूरी है। असलियत, शेयरहोल्डिंग के जरिए आप कंपनी की संपत्ति (संपत्ति), देनदारियां (देनदारियां) और इक्विटी की हिस्सेदारी (इक्विटी) के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं। यही वजह है कि इसे सही तरीकों से पढ़ना और इसका विश्लेषण करना, निवेश करने से पहले बहुत जरूरी होता है। रिसर्चर, अब आपको बताते हैं कि किसी भी कंपनी का शीट शेयरिंग समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बैलेंस शीट की जरूरी बातें
बैलेसस शीट को पढ़ने के लिए आपको कुछ सिद्धांतों पर विशेष ध्यान देना होता है। जैसे- कंपनी की संपत्ति (Assets) पर. यानी वह सभी चीजें जो रेलवे कंपनी के पास हैं और कंपनी को भविष्य में फायदा हो सकता है। इसके बाद वर्तमान संपत्ति (वर्तमान संपत्ति) है। इसमें कैश (नकद), बैंक में जमा राशि, देय ग्राहक (प्राप्य खाते), और स्टॉक (इन्वेंटरी) जैसे तत्व शामिल होते हैं। फिर बारी आती है, अवधि संपत्ति (गैर-वर्तमान संपत्ति) की। इसमें जमीन, प्रयोगशाला, इलेक्ट्रॉनिक्स और लैपटॉप जैसी संपत्तियां आती हैं।
फिर आती है परिसंपत्तियां और परिसंपत्तियां (देयताएं और इक्विटी)। इसमें कंपनी पर स्टाफ़ियों की जानकारी और बिक्री की जानकारी दी गई है। ये भी दो तरह की होती हैं. कैट लायबिलिटी और नॉन कैट लायबिलिटी. ऋण देयताएं (वर्तमान देयताएं) में वह देनदारियां शामिल होती हैं, जिसमें एक वर्ष के भीतर भुगतान होता है। वहीं, नॉन क्रेडिट लायबिलिटीज (गैर-वर्तमान देनदारियां) में लार्ज स्टार लोन और दूसरी लार्ज टर्म लायबिलिटीज शामिल हैं। इसके बाद सिद्धांत की पूंजी (इक्विटी) पर ध्यान देना होता है। इसमें शेयर कैपिटल, रिजर्व्स और कंपनी द्वारा शेयरधारक लाभ शामिल होता है।
आसान भाषा में
किसी भी निश्चित समय पर, किसी भी निश्चित समय पर, किसी भी नाम की कंपनी की कंपनी का लॉन्च का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ कहा जाता है। यह एक सरल गुणांक पर आधारित है। जैसे- एसेट = लायबिलिटी + शेयरधारक स्वामित्व। इसमें कंपनी की कंपनियां (एसेट्स), स्पेशियलिटीज (लायबिलिटी), और प्राइमरी की दुकानें (इक्विटी) का विवरण होता है। जब कंपनी को पैसा चाहिए, ऋण लेना चाहिए या टैक्स संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए, तब बैलेंस शीट का उपयोग किया जाता है। शेयर होल्डर इन्वेस्टमेंट में शेयर कैपिटल, रिज़र्व और सरप्लस शामिल होते हैं। सरप्लस वह राशि है, जहां कंपनी का प्रदर्शन किया जाता है, जिसका उपयोग लाभांश भुगतान में किया जा सकता है।
कंपनी की संपत्तियाँ गैर-करेन्ट और करेन्ट लायबिलिटी में विभाजित होती हैं। वर्तमान लायबिलिटी वह नॉन लॉन्ग टर्म जिम्मेदारी है, जिसे कंपनी ने लंबे समय में चुकाया है। इसके अलावा, वर्तमान देयता वह जिम्मेदारी है जिसमें एक वर्ष का भुगतान होता है। लॉन्ग और शॉर्ट टर्म प्रोविजन में आम तौर पर कर्मचारियों की सुविधाओं से संबंधित सामान शामिल होते हैं। इसके अलावा, डेफर्ड कर देनदारी उस अंतर का कारण है जो लेखांकन और कर विभाग के निपटान की गणना में होती है। कुल लायबिलिटी, शेयर होल्डर्स फंड, नॉन-करेंट और करेंट लायबिलिटी का योग है, जिस कंपनी द्वारा अन्य लोगों को भुगतान करने वाली कुल राशि खो दी जाती है।
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