एचयूएल, विप्रो के उत्पाद महंगे: रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान बनाने वाली कंपनी एचयूएल और विप्रो जेएस के प्रमुख एसोसिएट ने पामटेल जिले में साबुन के असर को कम करने के लिए लगभग सात-आठ प्रतिशत का कारोबार किया है। पामटेल, साबुन उत्पादों का एक प्रमुख रॉ माल है। एचयूएल और टाटा कंज्यूमर जेट एसोसिएट ने हाल ही में चाय के बाजार में भी बढ़त बना ली है, क्योंकि कस्टम सीजन के कारण उत्पादन में गिरावट आई है।
सितंबर तिमाही में बिक्री के लिए सूचीबद्ध कंपनियों ने अपने शेयरों को सुरक्षित रखने के लिए सितंबर तिमाही में साबुन की बिक्री पर रोक लगा दी। ये कमोडिटी की कीमत में कोमोडिटी की कीमत में बढ़ोतरी का सामना कर रही थी।
साबुन बनाने वाले प्रमुख कच्चे माल की दुकानों में ख़ारिज-विप्रो
विप्रो कंजूमर केयर के मुख्य स्मारक अधिकारी (सीईओ) नीरज खत्री ने कहा, “साबुन बनाने में प्रमुख कच्चे माल के गोदाम में उल्लेखनीय उछाल हुआ है। इसमें इस साल की शुरुआत से 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। इसके सभी प्रमुख अवशेष लगभग सात-आठ प्रतिशत की कीमत पर पैकेज को पार्टिकल रूप से लॉन्च करने के लिए। हमने इन मार्केट रुझानों के अनुसार ही काम किया है।” अजीम प्रेमजी के नेतृत्व वाली विप्रो इंटरप्राइजेज की यूनिट विप्रो के पास संतूर जैसे ब्रांड हैं।
एचयूएल के उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं
दिग्गज कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) ने चाय और त्वचा की सफाई करने वाले को भी अपने कब्जे में ले लिया है। इनमें डेव, लक्स, लाइफबॉय, लिरिल, पीयर्स, रेक्सोना आदि ब्रांड के अंतर्गत साबुन का कारोबार शामिल है। एक डिस्ट्रीब्यूटर के अनुसार एचयूएल के और पर्सनल केयर डेवलपर्स की कंपनियां भी बढ़ी हैं।
पामटेल के दाम कहां-कहां पड़े हैं
आयात वृद्धि के साथ-साथ वैश्विक समुद्र तट में सितंबर के मध्य से पामटेल के समुद्र तट में लगभग 35-40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पाम तेल मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया जाता है। असली समय में पामटेल की कीमत लगभग 1370 रुपये प्रति 10 किलोमीटर है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल नेपोलियन के कार्यकारी निदेशक (रिसर्च) अबनीश रॉय के अनुसार, एचयूएल के बाद, अब ज्यादातर उद्यमियों का कहना है।
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