चीनी शक्तिशाली जासूसी एजेंसी एमएसएस ने अपनी सार्वजनिक प्रोफ़ाइल एमआई6 सीआईए मोसाद को बढ़ाया


चीन जासूसी एजेंसी: चीन की जासूस एजेंसी राज्य सुरक्षा मंत्रालय (एमएसएस) अब तक दुनिया के सामने अपनी छाप लेकर बेहद भरोसेमंद बनी हुई है। चीनी खुफिया एजेंसी का कोई नाम नहीं है और न ही इसके मिशन की कोई जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चीनी जासूस एजेंसी की कोई साख नहीं है, बल्कि चीनी एजेंसी ने पश्चिमी देशों के नाक से चने चबाने की जानकारी दी है। लेकिन अब हाल ही में चीनी खुफिया एजेंसी अपने कारनामे का खुलासा करने से खुद को रोक नहीं पा रही है।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले पब्लिक रजिस्ट्रेशन में न होने के बावजूद, चीनी जासूस एजेंसी ने अब अपना रुख बदल दिया है और अब चीन के शहरों में वह अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है।

चीनी इंटेलिजेंस एजेंसी कैसे काम करती है?

चीन की टॉप जासूस एजेंसी ने हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा शिक्षा दिवस के मौके पर चीनी लोगों के रूप में एक छोटा सा वीडियो एक पेज पर भेजा है। इसका अर्थ है: “विदेशी जासूस हर जगह हैं।” तीन मिनट के वीडियो में, एक मोटो आईज वाला, एसोसिएटेड एसोसिएट्स वाला आदमी एक फ़ार्म फ़ार्मर ड्राइवर, एक स्टूडियो, एक लैब पार्टनर या यहां तक ​​कि एक स्ट्रीट फ़ैशन फ़ोटोग्राफ़र के रूप में पेश किया गया है, जबकि ख़तरनाक संगीत बजाता रहता है। वह कई जगहों से देशों की खुफिया जानकारी ऑफ़लाइन हनी ट्रैप भी सेट करता है।

चीनी खुफिया एजेंसी का मकसद यह है कि वह अपने लोगों से कहना चाहता है कि कोई भी उस पर भरोसा न करे और हर किसी को शक के दायरे से बाहर कर दे, लेकिन सवाल यह है कि चीनी खुफिया एजेंसी में इतने सारे दस्तावेज क्यों हैं?

चीनी जासूस एजेंसी के कारनामे

चीन की खुफिया साजिश ने देश के बाहर तो मिशन बनाए ही हैं, लेकिन उनका पहला मकसद देश के अंदर सुरक्षा उपायों की तलाश करना है। पश्चिमी देशों के लिए चीन एक अभेद्य किले की तरह है जहां से खुफिया जानकारी खोज रेगिस्तान में पानी की खोज की जाती है। चीनी खुफिया एजेंसी ने चीन में चप्पे-चप्पे को स्टार्टअप पर रखा है। देश में फ़ेशियल रिकग्निशन और डिजिटल पत्रिका है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने भी माना है कि चीन में जासूसी करना बेहद मुश्किल है। शायद ही किसी देश में चीन के जासूसों की खेप मिलती है, जब तक कुछ खबर आती है तब तक चीनी जासूस नौ दो दशक हो जाते हैं।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का मानना ​​है कि चीन से खुफिया जानकारी हासिल करना बहुत मुश्किल है क्योंकि वह पश्चिमी देशों से कोई उपकरण नहीं ले रहा है। वह संचार के लिए स्वयं के निर्माण उपकरण का उपयोग करता है, इसलिए उन्हें इंटरसेप्ट करना नामुकिन सा हो जाता है।

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