आरती सिंह ने महज़ 18 दिन में घटा लिया था 5 किलो वजन, जानें कैसे हुईं फैट से फिट
Day: March 6, 2025
2014 से 2024 तक मोदी सरकार में कितनी पैदा हुईं नौकरियां? केंद्रीय मंत्री ने देश को बता दिया
Employment In 2014 To 2024: केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को कहा कि 2014 से 2024 के दशक में देश के भीतर 17.1 करोड़ नौकरियां सृजित हुईं, जिनमें से 4.6 करोड़ रोजगार अकेले पिछले साल ही सृजित हुए. मांडविया ने बजट पर आयोजित एक वेबिनार में कहा कि बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय गिरावट आई है. यह 2017-18 के छह प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 3.2 प्रतिशत पर आ गई. इसी अवधि में महिला रोजगार 22 प्रतिशत से खासा बढ़कर 40.3 प्रतिशत हो गया. श्रम मंत्री ने इन उपलब्धियों का श्रेय सरकार की प्रगतिशील नीतियों को देते हुए कहा कि इससे देश का कार्यबल मजबूत हुआ है. मांडविया ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2024-26 का हवाला देते हुए सरकार की सामाजिक सुरक्षा पहल के प्रभाव का जिक्र किया. इसमें कहा गया है कि भारत का सामाजिक सुरक्षा ‘कवरेज’ 24.4 प्रतिशत से दोगुना होकर 48.8 प्रतिशत हो गया है. ई-श्रम पोर्टल 22 भाषाओं में उपलब्ध उन्होंने कहा कि ई-श्रम पोर्टल का विस्तार, 30.67 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को कवर करना और पीएमजेएवाई (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) के तहत अस्थायी (गिग) श्रमिकों को शामिल करना, कार्यबल कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को बताता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने ई-श्रम पोर्टल के तहत 12 प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं को भी एकीकृत किया है और यह पोर्टल 22 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है. 10 नए ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज को मंजूरी इसके अलावा श्रमिकों के परिवारों का समर्थन करने के लिए 10 नए ईएसआईसी मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है जबकि 10 अन्य कॉलेज अभी विचाराधीन हैं. श्रम सचिव सुमिता डावरा ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आधुनिकीकरण में हुई प्रगति का जिक्र किया. इसमें साढ़े छह वर्षों में 6.2 करोड़ से अधिक नए सदस्यों का नामांकन और केंद्रीकृत पेंशन प्रसंस्करण प्रणाली, पीएफ दावों के स्वत: निपटान और मजबूत आईटी बुनियादी ढांचे जैसे सुधार शामिल हैं. ये भी पढ़ें- हिंदी पर मचा बवाल तो क्या बोल गए बागेश्वर धाम बाले बाबा? धीरेंद्र शास्त्री की पहली प्रतिक्रिया
अवैध नहीं वैध रूप से US में रहने वाले भारतीयों को बड़ा झटका!
US Indian Citizens: H-1B वीजा का नाम आपने जरूर सुना होगा. यह वीजा अमेरिका में काम करने के इच्छुक विदेशियों, विशेषकर भारतीय नागरिकों के लिए एक बड़ा सपना होता है. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान अप्रवासी नीति में कई बदलाव किए गए हैं. इसकी वजह से लाखों लोगों का भविष्य अनिश्चितता में फंस गया है. H-1B वीजा धारक और उनके बच्चे, जो पहले अमेरिका में बसने की दिशा में आगे बढ़ रहे थे, अब नए नियमों के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. H-1B वीजा अमेरिका का एक गैर-आप्रवासी वीजा है, जो विदेशी नागरिकों को वहां काम करने की अनुमति देता है. इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से टेक्नोलॉजी, हेल्थ और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए होता है. यह वीजा धारक कुछ वर्षों तक अमेरिका में वैध रूप से काम कर सकते हैं और इसके बाद उनके परिवारों को भी वीजा के माध्यम से उनके साथ रहने की अनुमति मिलती है. ट्रंप प्रशासन के नियमों में बदलावडोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका की वीजा और अप्रवासी नीतियों में बड़े बदलाव हुए हैं. उनके कार्यकाल के दौरान, H-1B वीजा धारकों के बच्चों को मिलने वाली सुरक्षा हटा दी गई है. पहले, H-1B वीजा धारकों के बच्चों को आश्रित माना जाता था. अमेरिका में जन्म लेने वाले इन बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिल जाती थी, लेकिन अब इस नियम को खत्म कर दिया गया है, जिससे हजारों भारतीय अप्रवासी परिवारों का सपना टूट गया है. 1.34 लाख भारतीय परिवारों पर संकट2023 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 1.34 लाख भारतीय बच्चों के परिवारों को ग्रीन कार्ड मिलने की उम्मीद थी. हालांकि, अब उनकी उम्र सीमा समाप्त होने से पहले वीजा स्टेटस खत्म होने की स्थिति में आ गए हैं. इन बच्चों को अब स्व-निर्वासन (self-deportation) का डर है, क्योंकि वे जिस देश में पले-बढ़े हैं, उससे उन्हें वापस जाने के लिए कहा जा सकता है. उनके माता-पिता के ग्रीन कार्ड आवेदन की लंबी वेटिंग लिस्ट है, जो 12 साल से 100 साल तक हो सकती है. इस वजह से भी ऐसे लोग की मुश्किल बढ़ चुकी है. टेक्सास अदालत का निर्णय और DACAटेक्सास की एक अदालत ने हाल ही में डिफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (DACA) के तहत नए आवेदकों को वर्क परमिट देने से रोक दिया है. DACA उन अप्रवासी बच्चों को दो साल की अस्थायी सुरक्षा प्रदान करता था, जो दस्तावेज़ों के बिना अमेरिका में आए थे. अब, ये बच्चे 21 साल की आयु के बाद अपने माता-पिता के आश्रित वीजा से बाहर हो जाएंगे. यह स्थिति विशेष रूप से भारतीय अप्रवासी युवाओं के लिए चिंताजनक है. ये भी पढ़ें: Baba Vanga Prediction: ‘ जल्द धरती पर एलियंस का खौफ, डर के साए में रहेंगे इंसान’, बाबा वेंगा की डरवानी भविष्यवाणी
सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका की हार, अब भारत और न्यूजीलैंड के बीच होगा चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल
South Africa vs New Zealand, ICC Champions Trophy 2025: न्यूजीलैंड ने 2025 चैंपियंस ट्रॉफी के दूसरे सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 50 रनों से शिकस्त दी. इसके साथ ही कीवी टीम ने फाइनल में प्रवेश कर लिया है. अब भारत और न्यूजीलैंड के बीच 2025 चैंपियंस ट्रॉफी का खिताबी मैच खेला जाएगा. यह मुकाबला 9 मार्च को दुबई में होगा. भारत और दक्षिण अफ्रीका के सेमीफाइनल की बात करें तो कीवी टीम ने पहले खेलने के बाद 50 ओवर में 6 विकेट पर 362 रन बनाए थे. इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीकी टीम निर्धारित ओवरों में 312 रन ही बना सकी. दक्षिण अफ्रीका के लिए डेविड मिलर ने तूफानी शतक लगाया. वह 67 गेंद में 100 रनों पर नाबाद रहे. हालांकि, मिलर का शतक सिर्फ दक्षिण अफ्रीका की हार के अंतर को ही कम कर सका. न्यूजीलैंड के लिए रचिन रवींद्र ने 108 और केन विलियमसन ने 102 रनों की पारी खेली. फिर गेंदबाजी में कप्तान मिचेल सैंटनर ने 3 अहम विकेट झटके. ये तीनों खिलाड़ी कीवी टीम की धमाकेदार जीत के हीरो रहे. 2025 चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच कब खेला जाएगा? भारत बनाम न्यूजीलैंड फाइनल मैच 9 मार्च को खेला जाएगा. मैच भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा. मिचेल सेंटनर और रोहित शर्मा टॉस के लिए 1:55 पर आएंगे और टॉस का सिक्का 2 बजे उछलेगा. भारत बनाम न्यूजीलैंड वनडे के हेड टू हेड आंकड़े भारत और न्यूजीलैंड के बीच कुल 119 वनडे मैच खेले गए हैं, इनमें भारत का पलड़ा भारी है. टीम इंडिया ने 61 मैच जीते हैं जबकि न्यूजीलैंड टीम ने 50 मैच जीते हैं. भारत ने इसी टूर्नामेंट में लीग स्टेज में न्यूजीलैंड को हराया था. फाइनल की पिच रिपोर्ट भारत बनाम न्यूजीलैंड चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाना है. दुबई स्टेडियम की पिच धीमी रहेगी. यहां जो टीम सिंगल डबल पर ज्यादा निर्भर रहेगी, उसके जीतने की संभावना बढ़ जाएगी. यहां टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करना अच्छा विकल्प होगा. पॉवरप्ले में थोड़े तेज रन बनाए जा सकते हैं, लेकिन मिडिल आर्डर में पूरी तरह बड़ी साझेदारियों पर निर्भर रहना होगा. तेज गेंदबाजों के मुकाबले स्पिनर्स को यहां अधिक मदद मिलेगी.
दुनिया में कौन-कौन से देश कितनी तरह के लगाते हैं टैरिफ, इनमें क्या अंतर?
Kind Of Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान ने दुनिया में ट्रेड वॉर की स्थिति पैदा कर दी है. ट्रंप ने अमेरिकी संसद के ज्वाइंट सेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हमसे 100 फीसदी से ज्यादा टैरिफ वसूलता है. हम भी अगले महीने से ऐसा करने जा रहे हैं. इतना ही नहीं डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद देशों से आयात पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं. जिससे दूसरे देश भी जवाब में टैरिफ बढ़ाने की बात कर रहे हैं. टैरिफ टैरिफ टैरिफ आखिर ये टैरिफ होता क्या है और दुनिया में कौन से देश कितनी तरीके का टैरिफ लगाते हैं. चलिए आपको बताते हैं. क्या होता है टैरिफ टैरिफ दूसरे देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर है. मतलब कि जो कंपनियां विदेश का सामान देश में लेकर आती हैं वो सरकार को टैक्स देती हैं. ये सरकार के हाथ में होता है कि वो उस टैक्स को बढ़ा भी सकती है और घटा भी सकती है. कुल मिलाकर सरकार इस बात पर नियंत्रण लगाने की कोशिश करती है कि उसे देश में कौन सा विदेशी सामान कितनी मात्रा में चाहिए. दुनिया में कौन से देश टैरिफ लगाते हैं वर्ल्ड बैंक 2022 के डेटा की मानें तो बरमूडा, सोलोमन द्वीप, केमन द्वीपसमूह, कांगो, रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गिनी, कैमरून, बेलीज, जिबूटी, चाड, गैबॉन ये देश हाईएस्ट टैरिफ लगाते हैं. सबसे कम टैरिफ लगाने वाले देशों में हांगकांग (चीन), मकाऊ (चीन), सूडान, ब्रुनेइ दारुस्सलाम, सिंगापुर, जॉर्जिया, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, मॉरीशस, सेशल्स जैसे देश शामिल हैं. हाई और लो टैरिफ रेट के अलावा दुनिया के कुल 188 देश टैरिफ लगाते हैं. कितनी तरीके का होता है टैरिफ और इनमें क्या अंतर है वैसे तो टैरिफ कई तरह के होते हैं, लेकिन इनमें मुख्य रूप से स्पेसिफिक टैरिफ, एड वेलोरम टैरिफ, कंपाउंड टैरिफ, टैरिफ कोटा और ब्लॉक टैरिफ शामिल हैं. अब आपको बताते हैं कि ये क्या होते हैं. स्पेसिफिक टैरिफ ये हर यूनिट पर लगाई गई फिक्स फीस की तरह होता है, जैसे कि प्रति किलोग्राम या हर आइटम पर. इसके अलावा इसकी वैल्यू सामान के हिसाब से बदलती नहीं है. एड वेलोरम टैरिफ इसे किसी भी उत्पाद की कीमत के पर्सेंटेज के रूप में लगाया जाता है. ये इंपोर्ट किए गए सामान की अलग-अलग कीमतो पर व्यापक रूप से लागू होता है. कंपाउंड टैरिफ ये स्पेसिफिक और एड वेलोरम टैरिफ का मिलाजुला रूप है. प्रति यूनिट कॉस्ट और सामान के एक सेट पर्सेंटेज पर एकसाथ लागू किया जाता है. टैरिफ कोटा ये टैरिफ दो अलग-अलग तरीकों से लगता है. पहला तो जो सामान थोड़ी मात्रा में कम रेट पर इंपोर्ट किया जाता है, उस पर टैरिफ रेट कम होता है. वहीं अगर उस राशि से ऊपर इंपोर्ट्स पर टैरिफ रेट बढ़ जाता है. ब्लॉक टैरिफ एनर्जी के इस्तेमाल को ब्लॉक में डिवाइड किया जाता है. जिनमें पहले ब्लॉक का टैरिफ सबसे ज्यादा होता है, इसके बाद से ग्राफ के अनुसार धीरे-धीरे कम होता जाता है. जिस ब्लॉक में कंज्यूमर एनर्जी को इस्तेमाल करता है वो उसके हिसाब से टैक्स देता है.