International Women’s Day: देश की महिलाएं अब पहले के मुकाबले अपने अधिकारों को लेकर ज्यादा सजग हैं. महिलाएं सशक्त होने के साथ आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र हो रही हैं. हालांकि, इस मामले में केरल की महिलाएं सबसे आगे हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि नीति आयोग की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.
क्रेडिट प्रोफाइल को मैनेज कर रहीं महिलाएं
‘From Borrowers to Builders – Women’s Role in India’s Financial Growth Story,’शीर्षक के साथ नीति आयोग की रिपोर्ट में देश भर में महिलाओं के बीच बढ़ रही वित्तीय स्वतंत्रता पर प्रकाश डाला गया. इसमें बताया गया कि किस तरह से केरल की महिलाएं बेहतर तरीके से अपने क्रेडिट प्रोफाइल को मैनेज कर रही हैं.
देश की महिला उधारकर्ताओं में इनकी हिस्सेदारी 6 परसेंट है. जबकि इस मामले में पूरे देश में ये छठवें स्थान पर हैं. वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जबकि केरल की जनसंख्या अन्य कई बड़े राज्यों के मुकाबले अपेक्षाकृत कम है. इससे साफ है कि लोन बाजार में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ रही है.
महिला कर्जदारों में इन राज्यों की हिस्सेदारी
महिला कर्जदारों की संख्या महाराष्ट्र में सबसे अधिक 15 परसेंट है. इसके बाद 11 परसेंट की हिस्सेदारी के साथ तमिलनाड़ु दूसरे स्थान पर, 9 परसेंट की हिस्सेदारी के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर हैं. उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में इनकी हिस्सेदारी 7 परसेंट है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि राज्य में 44 फीसदी महिलाओं ने छह महीने में अपने क्रेडिट स्कोर में सुधार देखा है. इससे पता चलता है कि राज्य की महिलाओं के बीच फाइनेंशियल अवेयरनेस किस तेजी से बढ़ रही है.
नीति आयोग की इस स्टडी में यह भी पाया गया कि केरल में महिला कर्जदार सबसे ज्यादा नगरीय क्षेत्रों से हैं, इसके बाद ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की महिलाएं हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि महिलाओं का कर्ज लेना देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक विकास के लिए भी जरूरी है.
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