Manoj Bajpayee’s nice motion avatar, story screenplay weak, route additionally not particular | मूवी रिव्यू- भैया जी: स्टोरी और स्क्रीनप्ले कमजोर, डायरेक्शन भी खास नहीं; जबरदस्त एक्शन करते दिखे मनोज बाजपेयी

43 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र

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‘भैया जी’ एक्टर मनोज बाजपेयी के करियर की 100वीं फिल्म है। एक्टर इस फिल्म में जबरदस्त एक्शन करते नजर आए हैं। आज यह फिल्म थिएटर में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म की लेंथ दो घंटे 15 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 2 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी क्या है?

इस फिल्म की कहानी बिहार के एक काल्पनिक शहर सीतामंडी के बैकग्राउंड में बुनी गई है। मनोज बाजपेयी ने फिल्म में राम चरण त्रिपाठी का किरदार निभाया है, जिसे लोग भैया जी कहते हैं। भैया जी का एक जमाने में बिहार की पॉलिटिक्स में खूब दबदबा रहता है। उनके फावड़े ने हजारों कुकर्मियों को संसार से मुक्त किया है। लेकिन भैया जी अब सब कुछ छोड़ कर शादी करके शरीफों की तरह जिंदगी जीना चाहते हैं। इसी बीच उनके छोटे भाई की दिल्ली में हत्या कर दी जाती है। अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए भैया जी बिहार से दिल्ली आते हैं और शुरू होता है चूहे बिल्ली का खेल।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?

इसमे कोई शक नहीं कि मनोज बाजपेयी ने अपनी दमदार एक्टिंग और एक्शन से खूब प्रभावित किया है। इससे पहले उन्हें ऐसे एक्शन अवतार में नहीं देखा गया है। अपने किरदार के साथ उन्होंने पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की है। मनोज बाजपेयी की लेडी लव बनी जोया हुसैन कहीं ना कहीं एक्शन सीन में उन पर भारी पड़ती दिखी हैं। तो वहीं, निगेटिव भूमिका में सुविंदर विक्की, जतिन गोस्वामी कुछ खास नहीं जमे। विपिन शर्मा अपने किरदार से दर्शकों को गुदगुदाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह भी बनावटीपन ही लगता है।

डायरेक्शन कैसा है?

इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी फिल्म का डायरेक्शन ही है। इस फिल्म से पहले मनोज बाजपेयी को लेकर ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ का डायरेक्शन कर चुके अपूर्व सिंह कार्की ने इस फिल्म का डायरेक्शन किया है। फिल्म की कहानी काफी कमजोर है। बदले की भावना पर आधरित इस तरह की कई कहानियां दर्शक पहले भी देख चुके हैं। फिल्म की पटकथा शुरू से लेकर अंत तक बिखरी हुई है।

फिल्म शुरू होने के एक मिनट के बाद से ही इस बात का अंदाजा हो जाता है कि कहानी आगे क्या मोड़ लेने वाली है? फिल्म के गिने चुने डायलॉग को छोड़ दें तो सभी डायलॉग घिसे पीटे से ही लगते हैं। फिल्म की कहानी में बिहारी टच और दिल्ली-हरियाणा टच को दिखाया गया है। लेकिन फिल्म के एक्शन सीन्स देखकर ऐसा लगता है कि साउथ की कोई फिल्म देख रहे हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी कमजोर है।

म्यूजिक कैसा है?

फिल्म की कहानी बिहार के बैकग्राउंड की है। इसलिए फिल्म के गीत भोजपुरी सिंगर्स से गवाए गए हैं। लेकिन मनोज तिवारी के गाए गीत ‘बाघ के करेजा’ और ‘कौने जनम के बदला’ के अलावा कोई और गीत असर नहीं छोड़ पाया है। फिल्म का बैकग्राउन्ड म्यूजिक सामान्य है।

फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं?

अगर आप मनोज बाजपेयी के फैन हैं। उन्हें पहली बार जबरदस्त एक्शन अवतार को देखना चाहते हैं, तो फिल्म देख सकते हैं। वैसे भी कुछ समय के बाद फिल्म ओटीटी पर रिलीज होगी ही। यह आपको तय करना है कि फिल्म कहां देखें।

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