अनुमानित तौर पर छह सौ करोड़ रूपये विभिन्न बैंको के खाते के माध्यम से ठग गिरोह ने एकत्रित किया। इसमें करीब दो सौ करोड़ रूपये प्रारंभिक दौर में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कंपाउंड मनी के अलावा अतिरिक्त रूप से लौटाए। माना जा रहा है कि इस एप का संचालन विदेश से किया जा रहा। हालांकि जांच के बाद ही पूरे मामले से पर्दा उठ सकेगा।
By Yogeshwar Sharma
Publish Date: Solar, 30 Jun 2024 12:53:35 AM (IST)
Up to date Date: Solar, 30 Jun 2024 12:53:35 AM (IST)
HighLights
- क्यूलाफ एप के निवेशकों में हड़कंप
- सरकारी दफ्तर के कर्मचारी कर रहे थे ट्रेडिंग
- राशि कम पर निवेशकों की संख्या अधिक
नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा : एप क्यूलाफ में राशि निवेश करने वालों की निकासी 24 जून से बंद कर दी गई है। इसके लिए कहा गया कि कुछ अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों ने कंपनी के प्लेटफार्म रिचार्ज चैनल के खामियों का उपयोग किया है। इस वजह से भारतीय केंद्रीय जांच ब्यूरो के साथ सहयोग करने के लिए हमारे मंच सिस्टम सुरक्षा स्तर को उन्नत किया है। यह जानकारी देते हुए केवाईसी प्रमाणन के लिए छह हजार रुपये का शुल्क मांगा गया। इसके बाद से निवेशकों में राशि डूबने की आशंका से हड़कंप मचा हुआ है।
यह जानकर हैरत होगी कि इस शेयर ट्रेडिंग एप से न केवल कोरबा के साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), एनटीपीसी, बालको के कर्मचारी जुड़े थे, बल्कि प्रशासनिक व पुलिस के कर्मचारी भी इस एप के माध्यम से ट्रे़डिंग कर रहे थे। इक्के- दुक्के लोग ही हैं, जिनकी बड़ी राशि लगी होगी, ज्यादातर लोगों के अधिकतम छह से 12 हजार रूपये ही लगे हैं। 40 प्रतिशत लोग अपनी कंपाउंड मनी विड्राल कर चुके हैं। यही वजह है कि कोई भी निवेशक इसकी शिकायत करने सामने नहीं आ रहा। आमतौर पर एक – दूसरे से इसकी चर्चा तो सभी कर रहे हैं, पर पुलिस या प्रशासन तक कार्रवाई के लिए नहीं पहुंचे हैं।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि घरेलू महिलाएं भी इस एप के चक्कर में पड़ गई थी। शारदा विहार निवासी एक महिला ने बताया कि करीब दो माह पहले उसने ट्रेडिंग किया और एक माह के अंदर ही छह हजार रूपये आहरण कर लिया और अतिरिक्त रूप से छह हजार रूपये निकाल लिए हैं, जो बैंक खाते में पहुंच चुके हैं। ग्रहणी ने एक नकारात्मक पहलू बताते हुए कहा कि उन्होंने जो चार निवेशकों को जोड़ा था, उनमें से ज्यादातर लोगों के तीन से छह हजार रूपये तक फंस गए हैं। दर्री क्षेत्र में रहने वाले एक युवक का कहना है कि जनवरी माह से ही वह ट्रेडिंग कर रहा है। उस वक्त उसे तीन हजार रूपये जमा करना पड़ा था।
उसके पास कोई रोजगार का साधन नहीं था, इसलिए इससे प्रतिदिन लोगों को निवेशक के रूप में जोड़ने लगा। छह माह के अंदर उसने एक सौ से अधिक लोगों को जोड़ चुका था। इस वजह से उसकी सैलरी बढ़ती गई और वह दो लाख रूपये तक राशि आहरित कर चुका है। इतनी ही राशि और उसे निकालन था, पर बीच में ही आईडी ब्लाक कर दिया गया। उसके सामने परेशानी यह है कि उसके बनाए गए निवेशकों में आधे लोगों की मूल राशि निकल पाई है। शेष लोग अब आईडी ब्लाक हो जाने से उसे परेशान कर रहे हैं। ट्रांसपोर्ट नगर के एक इलेक्ट्रानिक व्यापारी का कहना है कि मुझे पता था यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा। मैं थोड़ा विलंब से ट्रेडिंग शुरू किया और मेरी राशि लगता है अब डूब गई।
चिटफंड घोटाला में पहले ही डूब चुके 200 करोड़
इसके पहले भी छत्तीसगढ के 20 लाख से ज्यादा लोगों के 100 से ज्यादा चिटफंड कंपनियां करीब 200 करोड़ रुपये डूबा चुके है। इस पर खूब राजनीति भी हुई। भाजपा शासन काल के हुए इसके घोटाले के पीड़ितों को राशि वापस करने का वादा करते हुए अपने घोषणा पत्र में शामिल किया, पर पीड़ित केवल कलेक्ट्रेट में लंबी कतार लगा आवेदन जमा किए। पांच साल गुजर गए, पर गिनती के कुछ लोगों को ही कुछ रुपये वापस मिले। महादेव सट्टा एप का भी संचालन दुबई से किया जा रहा था। इसके भी आरोपित अभी भी पकड़े जा रहे। अब राज्य में क्यूलाफ एप शेयर ट्रेडिंग घोटाला सामने आया है।
0 एक्सपर्ट व्यू
निवेश करने से पहले कंपनी की अच्छी तरह से कर लें जांच : मोहित
साइबर एक्सपर्ट, रायपुर मोहित साहू का कहना है कि सेबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही निवेश करें। कोई भी एप में निवेश करने से पहले उसकी कंपनी की जानकारी एमसीए से जांच करें, कंपनी इंडिया में रजिस्टर्ड हो और सेबी से विनियमित हो, उसका ध्यान रखें। क्रिप्टो में निवेश जोखिम से भरा हुआ है, क्रिप्टो निवेश से बचना चाहिए, क्योंकि यह विनियमित नहीं है। अपनी पूरी पूंजी एक ही जगह निवेश करने से बजाएं, कई पोर्टफोलियो में निवेश करें, इसलिए नुकसान को कम किया जा सके।